वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे
माखन चोर जो नंदकिशोर वो
कर गयो मन की चोरी रे
सुध बिसरा गया मोरी
वो काला एक बांसुरी वाला
पनघट पे मोरी बईयाँ मरोड़ी
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी
पईयाँ परूँ करूँ बिनती मैं पर
माने ना एक वो मोरी रे
सुध बिसरा गया मोरी
वो काला एक बांसुरी वाला
छुप गयो फिर एक तान सुना के
कहाँ गयो एक बाण चला के
सुध बिसरा गया मोरी
वो काला एक बांसुरी वाला
वो काला एक बांसुरी वाला, सुध बिसरा गया मोरी रे
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