तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है

तेरी छाया में, तेरे चरणों में, मगन हो बैठूं तेरे भक्तों में,
तेरे दरबार में, मैया, ख़ुशी मिलती है।
जिंदगी मिलती है, रोतों को हंसी मिलती है,

एक अजब सी मस्ती, तन मन पे छाती है,
हर एक जुबा तेरे, ओ मैया, गीत गाती है,
बजते सितारों से, मीठी पुकारों से,
गूंजे जहां सारा तेरे ऊँचे जयकारों से,
तेरे दरबार में…

मस्ती में झूमें, तेरा दर चूमें,
तेरे चारों तरफ दुनिया ये घूमे,
ऐसी मस्ती भी भला क्या, कहीं मिलती है।
जिंदगी मिलती है, रोतों को हंसी मिलती है,
तेरे दरबार में…

ओ मेरी शेरों वाली माँ, तेरी हर बात अच्छी है,
करुणा की पूरी है, माता मेरी सच्ची है,
सुख दुःख बताती है, अपना बनाती है,
मुश्किल में हो बच्चे तो, माँ ही काम आती है,
तेरे दरबार में…

रक्षा करती है भक्तों की, बात सच्ची करती,
उनके सपनों की सारी दुनिया की दौलत, यही मिलती है।
जिंदगी मिलती है, रोतों को हंसी मिलती है,
तेरे दरबार में…

रोता हुआ आये जो, हंसता हुआ जाता है,
मन की मुरादों को, वो पाता हुआ जाता है,
किस्मत के मारों को, रोगी बीमारों को,
कर दे भला चंगा मेरी माँ, अपने दुलारों को,
तेरे दरबार में…

पाप कट जाये चरण छूने से, महकती है दुनिया मां के धुने से,
फिर तू माँ ऐसी, कभी क्या, कहीं मिलती है।
जिंदगी मिलती है, रोतों को हंसी मिलती है,
तेरे दरबार में…

तेरे दरबार में, मैया, ख़ुशी मिलती है।
तेरे दरबार में, मैया, ख़ुशी मिलती है।

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