Thumak Chalat Ramchandra Bajat Pannjaniyan

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियाँ

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियाँ॥ किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय। थाय मात गोद लेत दशरथ की रनियाँ॥ पहला अंतरा: अंचल रज अंग झारि, विविध भाँति सो दुलारि। तन