कण कण में ॐ समाया है
कण कण में ॐ समाया है, प्रभु कैसी तुम्हारी माया है। कभी गणपति में ओम, कभी गौरा में ओम, रिद्धि-सिद्धि में ओम समाया है, प्रभु कैसी तुम्हारी माया है। कण
कण कण में ॐ समाया है, प्रभु कैसी तुम्हारी माया है। कभी गणपति में ओम, कभी गौरा में ओम, रिद्धि-सिद्धि में ओम समाया है, प्रभु कैसी तुम्हारी माया है। कण
डम डम डमरू बजाना होगा, भोले मेरी कुटिया में आना होगा। 🌿 सावन के महीने में, गंगा जल लायेंगे, वही गंगाजल, हम भोले को चढ़ायेंगे। फिर तो भजन और कीर्तन
आ लौट के आजा भोलेनाथ तुझे माँ गौरा बुलाती है। तेरा सुना पड़ा रे कैलाश, तुझे माँ गौरा बुलाती है। आ लौट के आजा भोलेनाथ, तुझे माँ गौरा बुलाती है।