श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,
लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम,
साँवरे की बन्सी को बजने से काम,
राधा का भी श्याम वो तो,
मीरा का भी श्याम ॥
यमुना की लहरें बन्सीबट की छैया,
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया,
श्याम का दीवाना तो सारा बृजधाम,
लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम ॥
कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाए,
जिसके मन भाए वो उसीके गुन गाए,
कौन नहीं बन्सी की धुन का गुलाम,
राधा का भी श्याम वो तो,
मीरा का भी श्याम ॥
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,
लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम,
साँवरे की बन्सी को बजने से काम,
राधा का भी श्याम वो तो,
मीरा का भी श्याम ॥
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Shyam teri bansi pukare Radha naam,
Log kare Meera ko yun hi badnaam,
Sawre ki bansi ko bajne se kaam,
Radha ka bhi Shyam wo to,
Meera ka bhi Shyam ||
Yamuna ki lehren, bansi bat ki chhaya,
Kiska nahin hai kaho Krishna Kanhaiya,
Shyam ka deewana to saara Vrindavan,
Log kare Meera ko yun hi badnaam ||
Kaun jaane bansuriya kisko bulaye,
Jiske man bhaaye wo usi ke gun gaaye,
Kaun nahin bansi ki dhun ka gulam,
Radha ka bhi Shyam wo to,
Meera ka bhi Shyam ||
Shyam teri bansi pukare Radha naam,
Log kare Meera ko yun hi badnaam,
Sawre ki bansi ko bajne se kaam,
Radha ka bhi Shyam wo to,
Meera ka bhi Shyam ||
भजन का भावार्थ:
यह भजन भगवान कृष्ण की दिव्य बाँसुरी के जादू और उनकी असीम प्रेमलीला को दर्शाता है। भजन में बताया गया है कि श्याम (कृष्ण) की बाँसुरी केवल राधा को नहीं, बल्कि मीरा सहित सभी भक्तों को पुकारती है। लोग मीरा को बदनाम करते हैं, परंतु भगवान कृष्ण का प्रेम राधा और मीरा दोनों के लिए समान है।
यमुना किनारे और बंसीवट की छाया में कृष्ण की बाँसुरी की मधुर धुन सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। भजन यह भी कहता है कि कृष्ण का प्रेम सारा वृंदावन धाम अनुभव करता है, और उनकी बाँसुरी की धुन हर भक्त के मन को मोहती है। कृष्ण की बाँसुरी किसी एक को नहीं बुलाती, बल्कि जिसे भी भाती है, वही उसकी धुन का गुलाम बन जाता है। इस तरह, राधा का श्याम और मीरा का श्याम एक ही हैं।
धुन और ताल:
- धुन: भजन की धुन मधुर और उत्साहपूर्ण है, जो बाँसुरी की मिठास और कृष्ण के प्रेम के माहौल को जीवंत करती है।
- ताल: “कहेरवा ताल” (8 मात्राओं) में इस भजन को प्रस्तुत किया जा सकता है, जो भजन को एक सरल, आकर्षक लयबद्धता प्रदान करती है।
भजन का संगीत और गायन:
- वाद्य यंत्र: भजन में बाँसुरी, हारमोनियम, तबला, और मंजीरा प्रमुख वाद्य यंत्र हैं। बाँसुरी का संगीत भजन की भावना को उजागर करता है, और हारमोनियम इसकी मधुरता को बढ़ाता है। तबला और मंजीरा भजन की ताल को स्थिर रखते हैं।
- गायन शैली: भजन को समूह या एकल स्वर में गाया जा सकता है। समूह में गाए जाने पर यह भजन की भक्ति भावना को सामूहिक रूप से प्रकट करता है, जबकि एकल गायन में भक्ति की गहराई और भक्त का व्यक्तिगत प्रेम प्रकट होता है।
भजन श्रोताओं को कृष्ण के प्रति गहन प्रेम और भक्ति में डूबा देता है, जिससे वे उनकी दिव्य लीलाओं में खो जाते हैं।
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