शिव कैलाशों के वासी

शिव कैलाशों के वासी

शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा।
शंकर संकट हरना, शंकर संकट हरना।

तेरे कैलाशों का अंत ना पाया, अंत बेअंत तेरी माया।
ओ भोले बाबा, अंत बेअंत तेरी माया।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा।
शंकर संकट हरना, शंकर संकट हरना।

बेल की पत्तियां, भांग धतूरा, शिवजी के मन को लुभाए।
ओ भोले बाबा, शिवजी के मन को लुभाए।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा।
शंकर संकट हरना, शंकर संकट हरना।

एक था डेरा तेरा, चंबेरे चगाना, दूजा लाई दीतता भर मोरा।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा।
शंकर संकट हरना, शंकर संकट हरना।

ओ भोले बाबा…
शंकर संकट हरना, शंकर संकट हरना।

🚩 हर-हर महादेव! 🚩


🔱 Bhajan: Shiv Kailasho Ke Wasi 🔱

Shiv Kailasho Ke Wasi,
Dhaulidharon Ke Raja.
Shankar Sankat Harna,
Shankar Sankat Harna.

Tere Kailasho Ka Ant Na Paya,
Ant Beant Teri Maya.
O Bhole Baba,
Ant Beant Teri Maya.
Shiv Kailasho Ke Wasi,
Dhaulidharon Ke Raja.
Shankar Sankat Harna, Shankar Sankat Harna.

Bel Ki Pattiyan, Bhaang Dhatura,
Shivji Ke Mann Ko Lubhaye.
O Bhole Baba,
Shivji Ke Mann Ko Lubhaye.
Shiv Kailasho Ke Wasi,
Dhaulidharon Ke Raja.
Shankar Sankat Harna, Shankar Sankat Harna.

Ek Tha Dera Tera, Chambere Chagana,
Dooja Lai Deetata Bhar Mora.
Shiv Kailasho Ke Wasi,
Dhaulidharon Ke Raja.
Shankar Sankat Harna, Shankar Sankat Harna.

O Bhole Baba…
Shankar Sankat Harna,
Shankar Sankat Harna.

🚩 Har-Har Mahadev! 🚩


भजन सारांश: “शिव कैलाशों के वासी”

यह भजन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है और उन्हें संकट हरने वाले (संकटमोचन) के रूप में दर्शाता है। इसमें शिवजी के निवास स्थान कैलाश पर्वत और उनकी अनंत माया का वर्णन किया गया है।

भजन में बताया गया है कि शिवजी के भस्म, बेल पत्र, भांग, धतूरा आदि से उनका विशेष प्रेम है। भक्तगण इन वस्तुओं को अर्पित कर उनकी आराधना करते हैं। साथ ही, भगवान शिव की कृपा, दयालुता और भक्ति से मिलने वाले आशीर्वाद का भी उल्लेख किया गया है।

अंततः यह भजन हमें शिवजी के प्रति श्रद्धा, समर्पण और भक्ति भाव प्रकट करने की प्रेरणा देता है और उनके नाम का स्मरण करने को कहता है—
🚩 “हर-हर महादेव!” 🚩

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