मुरली वाले ने घेर लायी अकेली पनिया गयी

मुरली वाले ने घेर लायी अकेली पनिया गयी।
मै तो गयी थी यमुना तट पे, कहना खड़ा था री पनघट पे,
बड़ी मुझ को रे देर भई, अकेली पनिया गयी।

श्याम ने मेरी चुनरी झटकी,
सर से मेरे घिर गयी मटकी।
बईया मेरी मरोड़ गयी, अकेली पनिया गयी।

बड़ा नटखट है श्याम सवारिया,
दे दारी मेरी कोरी चुनरिया।
मेरी गगरिया फोड़ दी, अकेली पनिया गयी।

लाख कही पर एक ना मानी,
भरने ना दे वो मोहे पानी।
मारे लाज के मैं मर गयी, अकेली पनिया गयी।

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