मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
छवि लगी मन श्याम की जब से, भई बावरी मैं तो तब से |
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से, नाता तोड़ा मैंने जग से ||
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने…
मोहन की सुन्दर सूरतिया, मन में बस गयी मोहनी मूरतिया
जब से ओढ़ी शाम चुनरिया, लोग कहे मैं भई बावरिया
मैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने…
हर दम अब तो रहूँ मस्तानी, लोक लाज दीनी बिसरानी
रूप राशि अंग अंग समानी, हेरत हे रत रहूँ दीवानी
मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने…
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