महरम होए सो जाने साधो ऐसा देस हमारा।
वेद कतेब पार नहीं पावत कहन सुनन ते न्यारा।
जात वर्ण कुल किरया नाहीं संध्या नेम अचारा।
बिन जल बूंद परत जिंहि भारी नहीं मीठा नहीं खारा।
सुन्न महल में नौबत बाजे किंगरी बीन सितारा।
बिन बादल जहाँ बिजरी चमकै बिन सूरज उजियारा।
बिना सीप जहाँ मोती उपजै बिन सुर षब्द उचारा।
जोत ले जाए ब्रह्म जहां दरसे आगे अगम अपारा।
कहे कबीर वो रहन हमारी बूझे गुरमुख प्यारा।
महरम होए सो जाने साधो ऐसा देस हमारा।
"अभी सब्सक्राइब करें और भजन के बोल (Lyrics) सीधे अपने मोबाइल पर पाएं!