माया महाठगिनी हम जानी,
निर्गुण फांस लिये डोले बोले मधुरी बाणी।
केसव के कमला होइ बैठी, शिव के भवन भवानी,
पंडा के मूरत होई बैठी, तीरथ हू में पानी।
जोगी के जोगन होई बैठी, राजा के घर रानी,
काहू के हीरा होई बैठी, काहू के कौड़ी कानी।
भक्तन के भक्ति होइ बैठी, ब्रह्मा के ब्रह्मानी,
कहे कबीर सुनो भई साधो, यह सब अकथ कहानी।
माया महाठगिनी हम जानी,
निर्गुण फांस लिये डोले बोले मधुरी बाणी।
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