मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
हल्की थी जब चढ़ी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
हीरा पायो गांठ गठायो, बार बार वाको क्यों खोले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
घट ही में तेरे साहेब बैठा, बाहर नैना क्यों खोले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
सुरत कलारी भई मतवारी, मदवा पी गई बिन तोले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
हंसा पाये मानसरोवर, ताल तलैया क्यों डोले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
कहे कबीर सुनो भाई साधो, साहेब मिल गया दिल ओले।
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले।
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