क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का साथ देती नहीं यह किसी का
क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का साथ देती नहीं यह किसी का
सांस रुक जाएगी चलते चलते, शमा बुज जाएगी जलते जलते ।
दम निकल जायेगा रौशनी का ॥
क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का साथ देती नहीं यह किसी का
हम रहे ना मोहोबत रहेगी, दास्ताँ अनी दुनिया कहेगी ।
नाम रह जाएगा आदमी का ॥
क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का साथ देती नहीं यह किसी का
दुनिया है इक हकीकत, रानी, चलते रहना है उसकी रवानी ।
फर्जपूरा करो बंदगी का ॥
क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का साथ देती नहीं यह किसी का
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