Ram ji ke Bhajan

तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार

तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे, बलिहार संवारे जू । तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे, बलिहार संवारे जू । तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे, बलिहार संवारे जू ॥ तेरे बाल बड़े घुंगराले, बादल जो

आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार लिरिक्स

आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार, स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार… सजी नगरिया है सारी, नाचें गावे नर-नारी, खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार, स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन

रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ॐ॥

रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ॐ॥ शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥ॐ॥ इति वदति तुलसीदास शंकर