मेरी नैया में लक्षमण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो
मेरी नैया में लक्षमण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो मेरी नैया में लक्षमण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो, गंगा मैया, हो गंगा मैया। मेरी नैया में चारों धाम,
मेरी नैया में लक्षमण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो मेरी नैया में लक्षमण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो, गंगा मैया, हो गंगा मैया। मेरी नैया में चारों धाम,
कनक भवन दरवाजे पड़े रहो कनक भवन दरवाजे पड़े रहो, जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो। कनक भवन दरवाजे पड़े रहो, जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो। सुघर सोपान, सो द्वार सुहावे,
झुक जइयो तनक रघुवीर झुक जइयो तनक रघुवीर, सिया मेरी छोटी है, सिया मेरी छोटी, लली मेरी छोटी, तुम हो बड़े बलवीर, सिया मेरी छोटी है। झुक जइयो तनक रघुवीर,
रामजी की निकली सवारी सर पे मुकुट सजे, मुख पे उजाला, हाथ धनुष, गले में पुष्प माला। हम दश इनके, ये सबके स्वामी, अंजान हम, ये अंतर्यामी। शीश झुकाओ, राम
राम जैसा नगीना नही सारे जग की बजरियां में नील मणि ही जडाऊ गी अपने मन की मुदरिया में राम का नाम प्यारा लगे रसना पे बिठाऊ गी मैं मैं
पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम ॥ “जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा” पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम ॥ तैरना क्या जाने, पत्थर
दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट। तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे, राम
सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये। जाहि विधि रखे, राम ताहि विधि रहिये॥ मुख में हो राम नाम, राम सेवा हाथ में। तू अकेला नाहि प्यारे, राम तेरे साथ में विधि का
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियाँ॥ किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय। थाय मात गोद लेत दशरथ की रनियाँ॥ पहला अंतरा: अंचल रज अंग झारि, विविध भाँति सो दुलारि। तन
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्। नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुख, कर कञ्ज पद कञ्जारुणम्॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरम्। पटपीत मानहुं तड़ित रुचि, सुचि नौमि