मैं वारी जाऊं रे, बलिहारी जाऊं रे | म्हारे सतगुरु आंगण आया, मैं वारी जाऊं रे |...
Kabir Bhajan
मत कर माया को अहंकार, मत कर काया को अभिमान। काया गार से काची, जैसे...
बिना चंदा रे, बिना भाण, सूरज बिन होया उजियारा रे परलोका मत जाव, हेली, निरख...
एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे परदेस का है मामला, खोटा हो प्यारा रे...
सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं | सब भरमंड में ज्योत...
1. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। सब अँधियारा मिट...
Here are 50 dohas (couplets) by Kabir, a 15th-century Indian mystic poet and saint, whose...
मत बाँधो गठरिया अपयश कै, मत बाँधो गठरिया अपयश कै । धरम छोड़ि अधरम को...
हरि बिन कौन सहाई मन का। मात पिता भाई सुत बनिता, हित लागो सब फन...
कोई जानेगा जाननहारा, साधो हरि बिन जग अंधियारा। या घट भीतर सोना चांदी, यही में...