Kabir Bhajan

बिना चंदा रे बिना भाण

बिना चंदा रे, बिना भाण, सूरज बिन होया उजियारा रे परलोका मत जाव, हेली, निरख ले यहीं उनियारो है गूंगो गावे है बेराग, बेहरो रे सुनवा ने लाग्यो है पांगलियो

कबीर दास जी के 10 दोहे

1. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं॥ Jab mai tha tab Hari nahi, ab Hari hai mai

मत बाँधो गठरिया अपयश कै

मत बाँधो गठरिया अपयश कै, मत बाँधो गठरिया अपयश कै । धरम छोड़ि अधरम को धायो, नैया डुबायो जनम भर कै । मत बाँधो गठरिया अपयश कै… भाई बन्धु परिवार

हरि बिन कौन सहाई मन का

हरि बिन कौन सहाई मन का। मात पिता भाई सुत बनिता, हित लागो सब फन का। हरि बिन कौन सहाई मन का। आगे को कुछ तुलहा बांधो, क्या मरवासा मन

कोई जानेगा जाननहारा, साधो हरि बिन जग अंधियारा

कोई जानेगा जाननहारा, साधो हरि बिन जग अंधियारा। या घट भीतर सोना चांदी, यही में लगा बज़ारा, या घट भीतर हीरा मोती, यही में परखनहारा। या घट भीतर काशी-मथुरा, यही