शिव की भक्ति में रंग जाना
शिव की भक्ति में रंग जाना शिव की भक्ति में रंग जाना रंग जाना, रंग जाना शिव की भक्ति में रंग जाना महाकाल के दर पे आके भूल जा तू
शिव की भक्ति में रंग जाना शिव की भक्ति में रंग जाना रंग जाना, रंग जाना शिव की भक्ति में रंग जाना महाकाल के दर पे आके भूल जा तू
भोले की बारात चली भोले की बारात चली दूल्हा बनके शिव शम्भू माँ पार्वती के द्वार चली भोले की बारात चली भोले की बारात चली दूल्हा बनके शिव शम्भू माँ
मेरे मन में बस गए भोलेनाथ मेरे मन में बस गए भोलेनाथ तेरी महिमा गाऊं दिन रात मेरे मन में बस गए भोलेनाथ तेरे दर्शन की प्यासी मेरे मन में
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥ धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर- स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥ जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा- कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं
अजब है तेरी माया ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे, ऊँचा तेरा धाम हे कैलाश के वासी भोले, करते हैं तुझे प्रणाम अजब है तेरी माया, इसे कोई समझ ना पाया गज़ब
हे, शम्भू बाबा, मेरे भोलेनाथ तीनों लोक में तू ही तू शिव नाम से है जगत में उजाला हरी भक्तों के है मन में शिवाला ऐ, शम्भू बाबा, मेरे भोलेनाथ
अपने लहू में बसा लिया जिसने मेरे श्री राम को ऐसी भक्ति ना देखी कहीं, नमन भक्त हनुमान को हो, कीजो, केसरी के लाल, मेरा छोटा सा ये काम हो,
शिव-शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ अंतकाल को भव-सागर में उसका बेड़ा पार हुआ भोले शंकर की पूजा करो, ध्यान चरणों में इसके धरो हर-हर महादेव, शिव-शंभु हर-हर
जीवन का मैंने सौंप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में|| मेरा निश्चय है बस एक यही, एक बार तुम्हें पा
रंग महल के दस दरवाज़े, रंग महल के दस दरवाज़े ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी, सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी सर को झुकाए मई तो चुपके