Bhajan

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो

भला किसी का कर न सको तो

भला किसी का कर न सको तो, भला किसी का कर न सको तो, बुरा किसी का न करना। पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना।

हे प्रभु आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिए

हे प्रभु आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिए। शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए। हे प्रभु आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिए। लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें, ब्रह्मचारी धर्मरक्षक, वीर व्रतधारी

मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवान तुम्हारे चरणों में

मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवान तुम्हारे चरणों में। यह विनती है पल पल छिन की, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में। चाहे बैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी। तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका । प्यारा लागे तेरा पीला पटका। तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू

दुनिया चले ना श्री राम के बिना दुनिया चले ना श्री राम के बिना

दुनिया चले ना श्री राम के बिना दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना। जब से रामायण पढ़ ली है, एक बात मैंने