Bhajan

हर साँस में हो सुमिरन तेरा

हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा। तेरी पूजा करते बीते साँझ सवेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा। नैनो की खिड़की से तुमको पल पल मैं

कनक भवन दरवाजे पड़े रहो

कनक भवन दरवाजे पड़े रहो कनक भवन दरवाजे पड़े रहो, जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो। कनक भवन दरवाजे पड़े रहो, जहाँ सियारामजी विराजे पड़े रहो। सुघर सोपान, सो द्वार सुहावे,

प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो

प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो, समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो। एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो, सो दुविधा पारस नहीं देखत, कंचन करत