हनुमान चालीसा – ज्ञान गन सागर जय कपीस तिहु लोक उजागर
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। जय हनुमान
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। जय हनुमान
राम नाम अति मीठा है, कोई गा के देख ले आ जाते है राम, कोई बुला के देख ले आ जाते है राम… जिस घर में अहंकार वहाँ, मेहमान कहाँ
काहे तेरी अंखियों में पानी, कृष्ण दीवानी मीरा, कृष्ण दीवानी। मीरा प्रेम दीवानी, मीरा कृष्ण दीवानी, दीवानी प्रेम दीवानी, मीरा प्रेम दीवानी। हस के तू पी ले विष का प्याला,
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया, हम सब उतारें तेरी आरती। तेरे भक्त जानों पर मैया, भीड़ पड़ी है भारी,
दरबार तेरा दरबारों में, कुछ खास अहमियत रखता है, और जिसको जितना मिलता है, वो जैसी नियत रखता है। तेरा दर हकीकत में दुखियों का सहारा है, दरबार तेरा, मैया,
तेरी छाया में, तेरे चरणों में, मगन हो बैठूं तेरे भक्तों में, तेरे दरबार में, मैया, ख़ुशी मिलती है। जिंदगी मिलती है, रोतों को हंसी मिलती है, एक अजब सी
दरबार तेरा, दरबारों में, एक ख़ास अहमियत रखता है, उसको वैसा मिलता है, जो जैसी नियत रखता है॥ बड़ा प्यारा सजा है तेरा, द्वार भवानी, जहाँ भक्तों की लगी है
माँ शारदा, तुम्हे आना होगा, वीणा मधुर बजाना होगा, मेरे मन मंदिर में, मैया, आना होगा, माँ शारदा, तुम्हे आना होगा। सा रे ग म प ध नि सा, मैया,
पवन उड़ा के ले गयी रे, मेरी माँ की चुनरिया। उड़के चुनरिया कैलाश पर, पहुँची गौराजी के मन को भा गयी रे, मेरी माँ की चुनरिया। पवन उड़ा के ले
प्रथमे गौरा जी को वंदना, द्वितीये आदि गणेश, त्रितिये सुमीरु शारदा, मेरे कारज करो हमेश॥ तेरी जय हो गणेश तेरी जय हो गणेश, तेरी जय हो गणेश तेरी जय हो