बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया

सदा पापी से पापी को भी तुम, मां भवसिंधु तारी हो,
फसी मझधार में नैया को भी, पल में उबारी हो,
न जाने कोन ऐसी भुल, मुझसे हो गयी मैया,
तुम अपने इस बालक को मां, मन से बिसारी हो ।।

बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया अपना मुझे बनाले ए मेहरों वाली मैया ।।

दर्शन को मेरी अखियाँ कब से तरस रहीं हैं,
सावन के जैसे झर झर अखियाँ बरस रहीं हैं,
दर पे मुझे बुला ले, ए शेरों वाली मैया ।।

आते हैं तेरे दर पे दुनिया के नर और नारी,
सुनती हो सब की विनती, मेरी मैया शेरों वाली,
मुझ को दरश दिखा दे, ए मेहरों वाली मैया ।।

मुझ पे ए मेरी मैया द्रष्टि दया की कर माँ,
चरणों की धूल देकर ‘लख्खा’ की झोली भर माँ,
मरते को अब जीलादे ए शेरों वाली मैया ।।

बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया
अपना मुझे बनाले ए मेहरों वाली मैया ।।

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