भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया

भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया ।

कभी न बैठा साधु संग में, कभी न हरि गुण गाया ।
बहि बहि मरे बैल की नाईं, भोर भयो उठि धाया ।
भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया ।

यह संसार हाट बनिया का, सब जग सौदा आया ।
काहुन कीन्हा दाम चौगुना, काहुन मूल गँवाया ।
भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया ।

यह संसार फूल सेमर का , लाली देख लुभाया ।
मारे चोच रुँवा जब निकस्यो, सिर धुनि धुनि पछताया ।
भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया ।

तू बन्दे माया का लोभी , ममता महल चुनाया ।
कहैं कबीर एक राम भजे बिनु, अन्त समय दुख पाया ।
भजन बिन बावरे , तूने हीरा जनम गँवाया ।

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