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गणपति की सेवा मंगल मेवा

गणपति की सेवा मंगल मेवा लिरिक्स गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल…

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में लिरिक्स नहीं चलाओ बाण व्यंग के ऐ विभीषण, ताना ना सेह पाऊं, क्यों तोड़ी है यह माला, तुझे ए लंकापति बतलाऊं, मुझ

यह प्रेम सदा भरपूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणो में

यह प्रेम सदा भरपूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणो में यह अर्ज मेरी मंजूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणो में यह प्रेम सदा भरपूर रहे यह प्रेम सदा भरपूर रहे निज जीवन

लाल लंगोटो हाथ मे घोटो

लाल लंगोटो हाथ मे घोटो, थारी जय जो पवन कुमार, मैं वारि जाऊँ बालाजी शुभ दिन मंगलवार को थारो भगत करे गुणगान , मैं वारि जाऊँ बालाजी।। मेवा मिठाई चढ़े

मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी राम सिया राम सिया राम जय जय राम धीरज धरम मित्र अरु नारी आपद काल परखिए चारी राम सिया राम सिया राम

हे दुःख भन्जन मारुती नंदन

हे दुःख भन्जन मारुती नंदन सुन लो मेरी पुकार पवनसुत विनती बारम्बार अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता, दुखिओं के तुम भाग्यविदाता सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार पवनसुत