bhajanmanch

मन मस्त हुआ तब क्यों बोले

मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हल्की थी जब चढ़ी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोले। मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गांठ गठायो, बार बार वाको क्यों

रामायण विसर्जन

कथा विसर्जन होत है , सुनहु वीर हनुमान ।निज आसन को जाइके , कृपा सिन्धु भगवान ।। हरिसन कहियो दण्डवत , तुन्हहिं कहो कर जोर । बार – बार रघुनायकहि

सुनी है गोकुल नगरिया

सुनी है गोकुल नगरिया, आजा आजा सावरिया, बरसाने में रसिक बुलाये, ग्वाल बाल सब मिल जुल आये, सखिया देखे डगरिया, आजा आजा सावरिया, सुनी है……. ऐसी प्रीत लगी मनमोहन, तेरे