मन मस्त हुआ तब क्यों बोले
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हल्की थी जब चढ़ी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोले। मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गांठ गठायो, बार बार वाको क्यों
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हल्की थी जब चढ़ी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोले। मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गांठ गठायो, बार बार वाको क्यों
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचाया लकड़ी का ॥ जिसमे तेरा जनम हुआ, वो पलंग बना था लकड़ी का,
तन को जोगी सब करे, मन को करे ना कोई, सहजे सब सिद्धि पाइए, जो मन जोगी होय । हम तो जोगी मन ही के, तन के हैं ते और,
पत्ता कहता तरुवर से, सुनो तरुवर मेरी बात, उस घर की ऐसी रीत है, एक आवक एक जाय। यहाँ रहना नहीं देस बिराना है, बिराना है रे, बेगाना है, यहां
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये । चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरीया झीनी रे झीनी
क्या लेके आया बंदे क्या लेके जायेगा दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला इस जगत सराये में, मुसाफिर रैना दो दिन का झूंठा करे गुमान, मुरख इस
कथा विसर्जन होत है , सुनहु वीर हनुमान ।निज आसन को जाइके , कृपा सिन्धु भगवान ।। हरिसन कहियो दण्डवत , तुन्हहिं कहो कर जोर । बार – बार रघुनायकहि
सुनी है गोकुल नगरिया, आजा आजा सावरिया, बरसाने में रसिक बुलाये, ग्वाल बाल सब मिल जुल आये, सखिया देखे डगरिया, आजा आजा सावरिया, सुनी है……. ऐसी प्रीत लगी मनमोहन, तेरे
सामने आओगे या आज भी पर्दा होगा, रोज़ अगर ऐसा ही होगा तो कैसा होगा । मौत आती है तो आ जाए कोई गम ही नहीं, वो भी तो आएगा
हे काली माई तोरी आरती उतार लेउ माँ लिरिक्स हे काली माई तोरी आरती उतार लेउ माँ, आरती उतार लेउ माँ मात मोरी आरती उतार लेउ माँ, हे काली माई…