आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
सजी नगरिया है सारी, नाचें गावे नर-नारी,
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
लड़ियों से मढ़ियों से फुलझड़ियों से ,
सजा राम दरबार, शोभा अजब बनी…
कंचन कलश विचित्र सँवारे, सब ही सजे धरे निज निज द्वारे,
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
…………………………
भजन का भावार्थ:
इस भजन में भगवान श्री राम के नगर आगमन का उल्लासमय वर्णन किया गया है। भक्तजनों में उत्साह की लहर दौड़ गई है, और वे अपने घरों और नगर को सुंदर सजावटों से सजा रहे हैं। हर व्यक्ति श्री राम के स्वागत में मग्न होकर मंगल गीत गा रहा है। भजन में स्वर्ण कलश और बंधन वार के प्रतीकात्मक उपयोग से शोभायमान वातावरण का चित्रण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि भगवान के आगमन से सारी सृष्टि आनंदित हो उठती है।
धुन और ताल:
- धुन: यह भजन आमतौर पर एक उत्सवपूर्ण और हर्षित धुन में गाया जाता है, जिससे वातावरण में उल्लास का संचार होता है। धुन मध्यम गति में होती है, जो पूरे भजन को एक पारंपरिक और भक्तिमय स्वरूप प्रदान करती है।
- ताल: इसे “कीर्तन ताल” (8 मात्राओं) या “दादरा ताल” (6 मात्राओं) में प्रस्तुत किया जा सकता है। ये ताल भजन की लय को संतुलित रखते हुए उसकी भव्यता और खुशी को उजागर करते हैं।
भजन का संगीत और गायन:
- वाद्य यंत्र: हारमोनियम, ढोलक, तबला, मंजीरा, और झांझ जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग इस भजन को भक्ति रस में डूबा देता है। कभी-कभी बांसुरी और शंख ध्वनि का भी उपयोग किया जा सकता है, जो वातावरण को दिव्य बनाता है।
- गायन शैली: गायन शैली सरल और सामूहिक होती है, जिसमें भक्तगण समूह में गाते हैं। यह शैली भजन की ऊर्जा और उत्साह को जीवंत करती है, जिससे सभी श्रोता भी भक्ति भाव में मग्न हो जाते हैं।
"अभी सब्सक्राइब करें और भजन के बोल (Lyrics) सीधे अपने मोबाइल पर पाएं!