एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में अर्पित नाम का एक युवा लड़का रहता था। अर्पित एक साधारण किसान परिवार से था और उसकी पढ़ाई-लिखाई गांव के स्कूल में ही हुई थी। हालांकि, अर्पित पढ़ाई में तेज़ था और बड़ी-बड़ी बातें सोचा करता था, मगर जब भी उसे कोई समस्या सामने आती, वह घबरा जाता था। उसे लगता था कि कठिनाइयां जीवन का अभिशाप हैं और जितना हो सके, उनसे बचना चाहिए। उसकी यह आदत उसे हमेशा रोकती रही, और धीरे-धीरे उसके सपने धुंधले होते जा रहे थे।
अर्पित के पिता ने देखा कि उनका बेटा कितनी जल्दी हार मान लेता है। वे हमेशा उसे समझाते, “बेटा, मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं। अगर तुम इनसे डरकर भागते रहोगे, तो कभी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाओगे।” पर अर्पित को यह बातें समझ में नहीं आती थीं। उसे लगता था कि जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो भाग्यशाली होते हैं, और वह खुद को दुर्भाग्यशाली मानता था।
एक दिन, गांव में यह खबर फैली कि एक प्रसिद्ध संत गांव में पधारने वाले हैं। यह संत जीवन के अनुभवों और कठिनाइयों से जुड़े प्रेरणादायक उपदेश देने के लिए जाने जाते थे। गांव के सभी लोग उत्सुकता से उनकी प्रतीक्षा करने लगे। अर्पित के पिता ने भी उसे कहा, “चलो बेटा, संत जी का उपदेश सुनते हैं। शायद तुम्हें कोई सीख मिले।” अर्पित पहले तो जाने को तैयार नहीं था, लेकिन पिता के दबाव देने पर वह संत के उपदेश सुनने के लिए तैयार हो गया।
संत जी गांव के सबसे बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे। उनके आसपास लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। संत जी ने सबका अभिवादन किया और एक गहरी सांस लेते हुए बोलना शुरू किया, “प्रिय भाइयों और बहनों, जीवन कठिनाइयों से भरा है। पर असली सवाल यह है कि हम इन कठिनाइयों का सामना कैसे करते हैं। मैं आप सबको एक कहानी सुनाना चाहता हूं।”
संत जी ने एक कहानी सुनाई, “एक बार की बात है, एक किसान के पास एक मजबूत बैल था। किसान रोज़ सुबह उठकर उस बैल को खेतों में काम पर ले जाता। बैल को भारी भार खींचना पड़ता और सारा दिन कठिन मेहनत करनी पड़ती। बैल हमेशा सोचता था कि काश उसे इतना कड़ा परिश्रम न करना पड़े। उसे लगता था कि किसान उसे सज़ा दे रहा है। एक दिन बैल ने किसान से पूछा, ‘मालिक, आप मुझसे इतनी मेहनत क्यों करवाते हैं? क्या आप मुझसे नफरत करते हैं?’ किसान ने हंसते हुए उत्तर दिया, ‘नहीं मेरे साथी, मैं तुम्हें मजबूत बनाने के लिए मेहनत करवाता हूं। अगर तुम इस कठिनाई को सहन करोगे, तो समय के साथ तुम्हारी ताकत बढ़ती जाएगी। अगर मैं तुम्हें आराम करने दूं, तो तुम कमजोर हो जाओगे और किसी काम के नहीं रहोगे।’”
संत जी ने कहानी को समाप्त करते हुए कहा, “दोस्तों, बैल ने धीरे-धीरे यह समझ लिया कि उसकी मेहनत ही उसे मजबूत बना रही थी। उसी तरह, जीवन की कठिनाइयां हमारी सच्ची ताकत बनाती हैं। अगर हम मुश्किलों से भागते हैं, तो हम कभी भी अपनी पूरी क्षमता नहीं जान पाते। सच्ची मज़बूती मुश्किलों से जूझने में है।”
अर्पित ने संत की यह कहानी बड़े ध्यान से सुनी। उसे एहसास हुआ कि वह तो जीवन की हर चुनौती से भागता रहा है। संत की बातें उसके दिल में गहराई तक उतर गईं। उस रात अर्पित ने बहुत देर तक अपने बारे में सोचा। उसने खुद से कहा, “अगर बैल मेहनत करके और मजबूत बन सकता है, तो मैं क्यों नहीं? मुझे अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाना होगा।”
अगले दिन से अर्पित ने अपनी सोच बदल दी। उसने ठान लिया कि वह हर चुनौती का सामना करेगा और अपनी असफलताओं से सीखेगा। पहले तो उसे बहुत कठिनाई हुई। उसे अपनी आदतें बदलने में समय लगा। जब भी कोई समस्या आती, उसे डर लगता था, लेकिन अब वह भागने के बजाय उस समस्या को हल करने की कोशिश करता। गांव के लोग भी उसकी इस नई सोच को देखकर हैरान थे। अर्पित ने अपने आपको मजबूत बनाने के लिए कठिन परिश्रम करना शुरू कर दिया।
वह हर सुबह जल्दी उठता और शारीरिक अभ्यास करता ताकि उसकी शरीर की ताकत बढ़े। पढ़ाई में भी उसने अपनी पूरी मेहनत लगा दी। पहले जहां वह कठिन विषयों से भाग जाता था, अब वह डटकर उन पर मेहनत करता। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ता गया। उसके माता-पिता भी उसकी इस मेहनत को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने उसे प्रोत्साहित किया और कहा, “हम जानते थे कि हमारे बेटे में बहुत ताकत है। बस उसे अपनी ताकत को पहचानना था।”
अर्पित ने सिर्फ अपने जीवन में ही नहीं, बल्कि गांव के अन्य युवाओं को भी प्रेरित करना शुरू कर दिया। वह उन्हें भी यह सिखाने लगा कि कठिनाइयों से भागने के बजाय उनका सामना करना चाहिए। उसकी प्रेरणा से गांव के अन्य युवा भी अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करने लगे। अर्पित ने गांव में एक छोटी सी लाइब्रेरी भी बनाई, जहां बच्चे और युवा पढ़ाई कर सकते थे और अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा पा सकते थे।
कुछ सालों बाद, अर्पित ने अपनी मेहनत और संघर्ष से एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। वह एक सफल व्यवसायी बन गया और अपने गांव के विकास में भी योगदान देने लगा। गांव के लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते थे और उसके संघर्ष और दृढ़ता की कहानियां सुनाया करते थे।
अर्पित ने अपने जीवन से यह सिख लिया था कि असली मज़बूती बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे अंदर होती है। अगर हम मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत रखते हैं, तो कोई भी चुनौती हमें हरा नहीं सकती। उसकी कहानी आज भी लोगों को प्रेरित करती है कि कठिनाइयां जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, और सच्ची मज़बूती इन्हीं से लड़ने में है।
सीख: जीवन में मुश्किलें हमें तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि हमें बनाने के लिए आती हैं। जो लोग इनसे नहीं डरते और उनका सामना करते हैं, वही सच्ची मज़बूती पाते हैं।
"अभी सब्सक्राइब करें और भजन के बोल (Lyrics) सीधे अपने मोबाइल पर पाएं!