जरा इतना बता दे कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों

जरा इतना बता दे कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों ।

जरा इतना बता दे कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों,
तु काला होकर भी जग से, इतना निराला क्यों ॥

मैंने काली रात में जन्म लिया, और काली गाय का दूध पीया,
कजरे का रंग भी काला, कमली का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥

सखी रोज़ ही घर में बुलाती है, और माखन बहुत खिलाती है,
सखिओं का दिल भी काला,इसी लिए मै काला ॥

मैंने काले नाग पर नाच किया, और काले नाग को नाथ लिया,
नागों का रंग भी काला, यमुना का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥

सावन में बिजली कड़कती है, बादल भी बहुत बरसतें है,
बादल का रंग भी काला, बिजली का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥

सखी नयनों में कजरा लगाती है, और नयनों में मुझे बिठाती है,
कजरे का रंग भी काला, नयनों का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥

जरा इतना बता दें कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों,
तु काला होकर भी जग से, इतना निराला क्यों ॥

जरा इतना बता दे कान्हा, कि तेरा रंग काला क्यों ।

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