2024

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियाँ

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियाँ॥ किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय। थाय मात गोद लेत दशरथ की रनियाँ॥ पहला अंतरा: अंचल रज अंग झारि, विविध भाँति सो दुलारि। तन

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्। नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुख, कर कञ्ज पद कञ्जारुणम्॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरम्। पटपीत मानहुं तड़ित रुचि, सुचि नौमि

मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवान तुम्हारे चरणों में

मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवान तुम्हारे चरणों में। यह विनती है पल पल छिन की, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में। चाहे बैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार, नज़र तोहे लग जाएगी। तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका । प्यारा लागे तेरा पीला पटका। तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू

दुनिया चले ना श्री राम के बिना दुनिया चले ना श्री राम के बिना

दुनिया चले ना श्री राम के बिना दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना। जब से रामायण पढ़ ली है, एक बात मैंने