रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ॐ॥
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ॐ॥ शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥ॐ॥ इति वदति तुलसीदास शंकर
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ॐ॥ शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥ॐ॥ इति वदति तुलसीदास शंकर
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो लक्ष्मण सा भाई हो,कौशल्या माई हो स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल
कभी राम बनके, कभी श्याम बनके, चले आना, प्रभुजी चले आना॥ॐ॥ कभी राम बनके, कभी श्याम बनके चले आना, प्रभुजी चले आना॥ॐ॥ तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप
तेरा झूठा मोह जगत में तोते से बोली मैना गैरों से मतलब क्या है अपनों से बच के रहना श्री राम हुए वनवासी अपनो से धोखा खाया, वो मोसी भी
तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है, शिव धनुष राम ने तोड़ा है, सीता से नाता जोड़ा है, तुम उठो सिया सिंगार करों, शिव धनुष राम
झूम जाता है मेरा दिल झूम जाता है, झूम जाता है मेरा दिल झूम जाता है, कन्हैया तुम को देख के दिल झूम जाता है….. बांकी अदाएं चैन चुराए, बांकी
ना पकड़ो हाथ मनमोहन, कलाई टूट जाएगी, जवाहिर की जड़ी चूड़ी, जवाहिर की जड़ी चूड़ी, हमारी फुट जाएगी, ना पकड़ो हाथ मनमोहन, कलाई टूट जाएगी…… जबरदस्ती करोगे जो, ना पाओगे
जिस घड़ी मेरी ये जान निकले, उस वक्त चले तुम आना, एकेले मत आना नन्दलाला, संग राधा जी को लाना, जिस घड़ी मेरी ये जान निकले, उस वक्त चले तुम
मुरली वाले तेरा शुक्रिया, तूने जीवन में सब कुछ दिया, शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया, तूने जीवन में सब कुछ दिया…… तूने भाग्य को मेरे संवारा, आयी मुश्किल तो दिया सहारा, हाथ
मेरो बाँके बिहारी लाल खेले रंग होली, रंग होली रे गुलाल होली, मेरो बांके बिहारी लाल खेले रंग होली…… हाथ लिए कंचन पिचकारी, खेल रहयो मेरो बाँके बिहारी, हाथ लिए