June 2024

कबीर दास जी के 10 दोहे

1. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं॥ Jab mai tha tab Hari nahi, ab Hari hai mai

तीन बाण के धारी तीनो बाण चलाओ ना मुश्किल में है दास तेरा अब जल्दी आओ ना

तीन बाण के धारी तीनो बाण चलाओ ना मुश्किल में है दास तेरा अब जल्दी आओ ना हारे के सहारे मेरे हारे के सहारे मेरी हार हराओ ना अंधेरो की

मत बाँधो गठरिया अपयश कै

मत बाँधो गठरिया अपयश कै, मत बाँधो गठरिया अपयश कै । धरम छोड़ि अधरम को धायो, नैया डुबायो जनम भर कै । मत बाँधो गठरिया अपयश कै… भाई बन्धु परिवार

हरि बिन कौन सहाई मन का

हरि बिन कौन सहाई मन का। मात पिता भाई सुत बनिता, हित लागो सब फन का। हरि बिन कौन सहाई मन का। आगे को कुछ तुलहा बांधो, क्या मरवासा मन